The Power of Branding in Agriculture
ISBN: 978-93-601-4234-6
Format: 15.2x22.9cm
Liczba stron: 72
Oprawa: Miękka
Wydanie: 2023 r.
Język: hindi
Dostępność: dostępny
<p class="ql-align-justify"><strong style="color: rgba(31, 31, 31, 1)">भूमिका: बदलते खेती के खेतों में, जहाँ उपभोक्ता चुनते हैं जागरूकता</strong></p><p class="ql-align-justify"><span style="color: rgba(31, 31, 31, 1)">कभी सोचा है, खेतों में भी क्रांति का तूफान चल रहा है? वो ज़माना गया, जब किसान सिर्फ फसल उगाते थे और बिक्री की चिंता व्यापारियों की होती थी। आज का उपभोक्ता जागरूक है, जिसे सिर्फ स्वादिष्ट फल-सब्जी नहीं चाहिए, बल्कि वो जानना चाहता है कि उसकी थाली तक पहुंचने का सफर कैसा रहा। वो पूछता है - "ये सब कैसे उगा? कौन उगाया? क्या ये पर्यावरण के लिए हानिकारक तो नहीं?"</span></p><p class="ql-align-justify"><span style="color: rgba(31, 31, 31, 1)">इसी जागरूकता के चलते, खेती का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। अब यहां ब्रांडिंग का तराना बज रहा है। जी हां, वही ब्रांडिंग, जो पहले कंपनियों और फैशन की दुनिया तक सीमित थी, अब खेतों में भी अपना जादू दिखा रही है।</span></p><p class="ql-align-justify"><span style="color: rgba(31, 31, 31, 1)">ये पुस्तक आपको इसी बदलाव की यात्रा पर ले चलती है। हम देखेंगे कि कैसे जागरूक उपभोक्ता के बदलते स्वाद और चिंताओं ने खेती के तौर-तरीकों को बदलकर रख दिया है। किसान अब सिर्फ पैदावार नहीं कर रहे, वो अपने खेतों में ब्रांड्स खड़ी कर रहे हैं। वो अपने उत्पादों को कहानी सुना रहे हैं, ताकि उपभोक्ता उनसे जुड़ सकें और विश्वास कर सकें।</span></p><p class="ql-align-justify"><span style="color: rgba(31, 31, 31, 1)">लेकिन ये सफर इतना आसान नहीं है। कई मिथक और भ्रांतियां हैं, जो इस रास्ते में रोड़े अटकाते हैं। हम इन मिथकों का खंडन करेंगे और दिखाएंगे कि कैसे एक मजबूत ब्रांड बनाकर किसान न सिर्फ अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि उपभोक्ताओं का दिल भी जीत सकते हैं।</span></p><p class="ql-align-justify"><span style="color: rgba(31, 31, 31, 1)">आप सीखेंगे कि अपने खेत को पहचान कैसे दें, उसे एक कहानी में कैसे बुनें, और उसे तकनीक और डिजिटल मार्केटिंग के सहारे दुनिया के सामने कैसे लाएं। साथ ही, हम देखेंगे कि किसानों के लिए</span></p>