Kanela Ki Katha (कनैला की कथा)
ISBN: 978-93-631-8668-2
Format: 14.0x21.6cm
Liczba stron: 140
Oprawa: Miękka
Wydanie: 2024 r.
Język: hindi
Dostępność: dostępny
कनैला वस्तुत राहुल जी का पितृग्राम है और कनैला की कथा उसका ऐतिहासिक भौगोलिक चित्रफलक है । ईसापूर्व १३ वी शताब्दी में कनैला की स्थिति के बारे में एकदम सन्नाटा है उस जगह पर क्या कुछ था, कहा नही जा सकता। बाद के युग में शिशपा या सिसवा नगर की चर्चा की गई है। जिस समय (ईसापूर्व सातवी सदी) की हम बात कर रहे है, उस समय की भी धरोहर सिसवा और कनैला की भूमि में जरूर छिपी हुई है । वह सामने आती, तो अपनी मूक भाषा में बहुत सी बातें बतलाती। राहुल जी ने कालानुक्रम से कनैला और उसके नगर सिसवा की ऐतिहासिक धरोहर को लघु वृत्तान्तों के माध्यम से स्पष्ट किया है ष्किनैला की कथा में राहुल सांकृत्यायन ने नेपाल के कनेला गाँव की यात्रा के दौरान अपने अनुभवों और वहाँ के सामाजिक, सांस्कृतिक, और भौगोलिक परिदृश्यों का चित्रण किया है। उन्होंने वहाँ के लोगों की जीवनशैली, उनकी समस्याओं, और उनके संघर्षों को बड़े ही सरल और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया है।